किस्मत और आप (Luck and You) – Short Hindi Motivational Story on Luck

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ये एक प्रेरक कहानी Luck and You है, जो बताती है की कैसे मनुष्य खुद अपने भाग्य का निर्माता है।

एक बार की बात है एक अध्यापक अपने छात्रों को समझा रहे थे की मनुष्य के हाथो में ही उसका भविष्य छिपा होता है।

Luck and You

वो जैसा करता है वैसा ही फल पाता है।
ये कुदरत सभी मनुष्यो को एक समान नज़रो से देखती है।
प्रकृति सभी को बराबर का अवसर देती है ये आप पे निर्भर करता है की आप अवसर का कैसे उपयोग करते है।
अध्यापक की बाते सभी छात्र ध्यान से सुन रहे थे तभी एक छात्र ने अध्यापक से पूछा।

सर, अगर ये कुदरत सबको बराबर का अवसर देती है तो लोग भाग्य को क्यों कोसते रहते है?

अध्यापक ने छात्र के प्रश्न को ध्यानपूर्वक सुना और छात्रों को समझाने के लिए एक उदहारण दिया:-

अध्यापक ने तीन कटोरे लिए और उनमे से,
एक में आलू,
दूसरे कटोरे में अंडा, और
तीसरे कटोरे में चाय की पत्ती डाल दी।
अब अध्यापक ने तीनो कटोरो में पानी डाल कर उनको गैस पे उबलने के लिए रख दिया।

सभी छात्र आश्चर्यचकित होकर अपने अध्यापक को देख रहे थे।
किसी को भी समझ नहीं आ रहा था की उनके अध्यापक ये क्या कर रहे है।
20 मिनट तक सभी छात्र अपने अध्यापक को देखते रहे।
अध्यापक ने देखा की उनके रखे तीनो कटोरो पे अब उबाल आने लगा हैगया
अतः उन्होंने उन तीनो कटोरो को गैस से नीचे उतार के रख दिया।

अब अध्यापक ने एक एक करके कटोरे में रखे समान को बहार निकाला और सभी छात्रों को ध्यान से देखने को बोला।
छात्रों को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये चल क्या रहा है।

अध्यापक ने अब एक छात्र को बुलाया और कहाँ की इन तीनो चीज़ो को देख के बताओ की इसमें क्या परिवर्तन आया है।
छात्र ने सबसे पहले आलू को देखा और बोला की आलू पहले से ज्यादा मुलायम और नरम हो गया है।
अब उसने अंडे को देखा और बोला की ये पहले काफी नाजुक था पर उबलने के बाद ये पहले से कठोर हो गया है।
अब उसने तीसरे कटोरे, जो एक चाय की पत्ती थी उसे देखा और बोला की चाय की पत्ती पानी के साथ मिलकर अब चाय बन चुकी है।

अध्यापक ने अब उस छात्र को वापस अपनी सीट पे जाके बैठने को बोल दिया।

अध्यापक ने अब सभी छात्रों को समझाया-
हमने इन सभी चीज़ो को एक जैसी विपत्ति से गुजारा, मतलब सभी चीज़ो को समान परिस्थिति से गुजारा,
पर तीनो चीज़ो ने एक परिस्थिति से गुजरने के बाद भी अलग-अलग व्यवहार दिखाया।

आलू जो पहले कठोर था वो उबलने के बाद नरम हो गया,
अंडा जो पहले नरम था वो उबल के थोड़ा कठोर हो गया,
जबकि चाय की पत्ती उबलने के बाद पूरी तरह से पानी में मिलकर चाय बन गयी है।

जिस तरह इन तीनो चीज़ो ने अपना रूप बदल लिया ठीक उसी तरह ये बात इंसान के जीवन में भी लागू होती है।
एक इंसान जहा विपत्ति में अपना धैर्य खो देता है,
जबकि वही दूसरा इंसान सामान परिस्थिति में अपनी बुद्धि और विवेक से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।
सभी इंसान अपने भाग्य का निर्माता खुद ही होता है।
वो किस तरह विपरीत परिस्थिति का सामना करता वो खुद उसपे निर्भर करता है।
भाग्य को कोसना गलत है, क्योंकि असल में भाग्य आपके अपने कर्मो पे ही निर्भर करता है।
इसलिए भाग्य के भरोसे मत रहिये, मेहनत करे और अपने लक्ष्य को प्राप्त करे।

दोस्तों आपको ये कहानी, किस्मत और आप (Luck and You) कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताये।

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