कादम्बिनी गांगुली का जीवन परिचय | Kadambini Ganguly in Hindi

0

Biography of Kadambini Ganguly in Hindi

आज मैंने अपनी लेखनी से उस महान व्यक्तित्व को जीवंत करने का प्रयास किया जिन्हें हममें से बहुत लोग जानते भी होंगे कहीं न कहीं उनके बारे में पड़ा और सुना भी होगा लेकिन कुछ लोगों को इसके बारे में जानकारी नही होगी तो चलिए जानते हैं हम एक ऐसी ही महान व्यक्तित्व वाली महिला को ।

कादम्बिनी गांगुली जी हम बात कर रहे हैं, जो बिहार जिले के भागलपुर गावँ में रहने वाली थीं।
कादम्बिनी जी भारत की पहली महिला थीं, जो स्नातक थीं और फिजिसियन भी थी।
इन्होंने समाज सुधार के लिए भी बहुत कार्य किया।
आप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में सर्वप्रथम भाषण देंने वाली महिला के रूप में भी गौरवान्वित हुईं।
कादम्बिनी जी पहली दक्षिण एशियाई महिला थी, जिन्होंने यूरोपियन मेडिकल में प्रशिक्षण लिया ।

आप ने कोयला खदानों में कार्यरत महिलाएं जिनकी स्थिति बहुत ही लचर थी उनके लिए भी अनेको कार्य किये ।
कादम्बिनी गांगुली जी, बंकिमचंद्र चटोपाध्याय की रचनाओं से बहुत प्रभावित थी । बंकिमचंद्र की रचनाओं से प्रभावित होने के कारण ही कादम्बिनी जी में समाज सेवा अथवा देशभक्ति की भावना जागृत हुई थी ।

ये तो हुआ कादम्बिनी जी का परिचय चलिए जानते हैं उनके परिवार के बारे में……

कादम्बिनी गांगुली जी का विवाह ब्रह्म समाज के प्रमुख नेता और समाजसुधारक द्वारकानाथ गांगुली से हुआ था ।

जन्म – भागलपुर बिहार ( 18 जुलाई 1861)
राष्ट्रीयता – भारतीय

शिक्षण – बेधुने कॉलेज (कोलकाता विश्वविद्यालय)

गृह स्थान – भागलपुर बिहार

जीवनसाथी – द्वारकानाथ गाँगुली

व्यवसाय – चिकित्सक, महिला मुक्ति

संतान – सतीश चंद्र गंगोपाध्याय (सौतेले पुत्र), बिधूमुखी देवी (सौतेली पुत्री), निरुपमा हलधर, निर्मल चंद्र गाँगुली, प्रफुल्ल चंद्र गाँगुली, ज्योतिर्मयी गाँगुली, प्रभात चंद्र गया गाँगुली, अमल चंद्र गाँगुली, हिमानी गाँगुली ( 3 महीने की उम्र में मृत्यु ), जयंती बर्मन

इस तरह 3 अक्टूबर 1923 को ( 63 साल ) की उम्र में कादम्बिनी गाँगुली जी ने कोलकाता में अपनी आखिरी सांस ली औऱ इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

1886 में कोलकाता विश्वविद्यालय से चिकित्साशास्त्र की डिग्री प्राप्त करने वाली प्रथम महिला थी।
तत्पश्चात कादम्बिनी जी ने ग्लास्गो और एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से चिकित्सा की उच्च शिक्षा प्राप्त की।
हमारे देश मे उच्चत्तर शिक्षा प्राप्त करने के लिए महिलाओं को भले ही बहुत संघर्ष करना पड़ा हो, लेकिन कादम्बिनी गाँगुली के रूप में हमें हमारे देश के लिए 19 वीं सदी में पहली महिला डॉक्टर मिल गयी ।
उनको पहली महिला फिजिसियन होने का गौरव सिर्फ भारत मे ही नही अपितु साउथ एशिया में भी मिला।

1889 में कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में भाषण देने वाली उस संस्था की अब तक कि वो प्रथम महिला थी।

1906 में महात्मा गांधी जब रंगभेद के विरुद्ध ( सत्याग्रह आंदोलन ) चला रहे थे तो,
कादम्बिनी जी ने उस आंदोलन में सहायता के लिए कोलकाता में चन्दा एकत्रित करने का कार्य किया।
कादम्बिनी गाँगुली 1906 ईसवी के कोलकाता कांग्रेस के समय आयोजित महिला सम्मेलन की अध्यक्षता भी की।

आपको अपने समय के रूढ़िवादी समाज की काफी आलोचनाए झेलनी पड़ी ।
एडिनबर्ग से लौटने के पश्चात उन्हें एक बंगाली पत्रिका बंगबासी में सम्पादक महेश पाल ने उन्हें वैश्या कहा था ।
इस मामले को उनके पति द्वारकानाथ गाँगुली ने अदालत में लिया और वो ये केस जीत गये।
इस तरह अपने जीवन के अनगिनत उतार चढ़ाव भरे पलों को खुद में समेटे हुवे कादम्बिनी गाँगुली ने 3 अक्टूबर 1923 को अंतिम सांस ली।
ऐसी महान आत्मा को हमारा नमन।

Share.

About Author

Leave A Reply