चाणक्य (Chanakya) कहते हैं –
- कुछ भी करने से पहले खुद से तीन प्रश्न जरूर करे
मैं ये क्यों कर रहा हूँ?
इसके नतीजे क्या हो सकते है? और
क्या मैं इसमें सफल हो पाउँगा?,
जब आप इन सभी प्रश्नों के जवाब ढूंढ ले तभी आगे बढे। - कोई भी व्यक्ति अकेले ही जन्म लेता है ,अकेले ही मरता है।
वो अपने अच्छे बुरे कर्मो का फल भी अकेले ही भुगतता है ,और अकेले ही स्वर्ग या नर्क जाता है। - ईश्वर किसी भी मूर्तियो में नहीं है, आपकी आत्मा आपका मंदिर है और आपकी चेतना ही आपका ईश्वर है।
- सांप जहरीले होते है।
और अगर कोई सांप जहरीला ना भी हो तब भी उसको जहरीला दिखना चाहिए। - कभी इस बात को व्यक्त ना करे की आप क्या करने वाले है।
इस बात को रहस्य बनाये रखिये तथा इस काम के प्रति दृण संकल्पित रहिये। - मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र उसकी शिक्षा है।
एक शिक्षित व्यक्ति का प्रत्येक जगह सम्मान होता है।
शिक्षा सुंदरता और यौवन दोनों को परास्त कर देती है।
-
- जैसे ही आपको लगे की भय आपके नजदीक आ चुका है। उसपे आक्रमण करके उसे खत्म कर दे।
- मूर्ख व्यक्तिओ के लिए किताबे उतनी ही आवश्यक है, जितनी किसी अंधे व्यक्ति के लिए आँखे।
- मनुष्य अपने कर्मो से बड़ा होता है, जन्म से नहीं।
- सांप , राजा , डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख, इन सातो को कभी नींद से ना उठाये।
- जिस तरह एक सूखे वृछ को अगर आग लगा दी जाये तो वो पूरे जंगल को बर्बाद देता है, ठीक उसी प्रकार एक कपूत पूरे घर को बर्बाद कर देता है।
- गुरुमंत्र : कभी भी किसी को अपने रहस्य मत बताये ,ये आपको बर्बाद कर देंगे।
- सभी मित्रता में कोई न कोई स्वार्थ जरूर होता है। बिना स्वार्थ के कोई मित्रता नहीं होती, ये एक कटु सत्य है।
- बिना सम्मान के जीने से अच्छा है मर जाना। मृत्यु तो एक पल का दुःख देती है पर अपमान जीवन में हर पल दुःख लाता है।
- कभी भी ऐसे मित्र ना बनाये जो आपसे कम या आपसे ज्यादा प्रतिष्ठित हो। ऐसी मित्रता आपको कभी ख़ुशी नहीं देगी।
- अपने रिश्तेदारो को कठिनाईओ में ,मित्र को संकट में ,और पत्नी को विपत्ति में परखे।
- जो लोग ईश्वर को इच्छुक हैं उन्हें वाणी, मन, इन्द्रियों की पवित्रता और एक दयालु ह्रदय की जरूरत होती है।